Thursday, March 28, 2013

Janma din mubarak ho







तेरे जनम दिन पर तुजे क्या पेश करू,

ताजमहल दु तुजे या चंद्रमा पेश करू,
और तो कुछ नहीं मेरे पास ऐ मेरे सनम,
सोचता हु बस तुजे अपनी वफा पेश करू |



Tere Janaam Deen Pr Tuje Kya Pes Kru


Tajmaahal Du Tuje Ya Chanderma Pes Kru

Or To Kuchh Nhi Mere Pas E Mere Sanaam

Sochtaa Hu Bus Tuje Apni Vafaa Pes Kru.


1 comment:

  1. नया एक जख्म खाना चाहता हूँ ,
    मैं जीने को बहाना चाहता हूँ ;
    रुला देती है हर
    सच्ची कहानी ,
    मैं एक झूठा फ़साना चाहता हूँ ;
    ये पागलपन नहीं तो और क्या है ,
    मैं सचमुच मुस्कुराना चाहता हूँ ;
    कोई मुझको भी मेरे पास लाये ,
    मैं अपना गम बटाना चाहता हूँ ;
    नया एक जख्म खाना चाहता हूँ ,
    मैं जीने को बहाना चाहता ह

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