तेरे जनम दिन पर तुजे क्या पेश करू,
ताजमहल दु तुजे या चंद्रमा पेश करू,
और तो कुछ नहीं मेरे पास ऐ मेरे सनम,
सोचता हु बस तुजे अपनी वफा पेश करू |
Tere Janaam Deen Pr Tuje Kya Pes Kru
Tajmaahal Du Tuje Ya Chanderma Pes Kru
Or To Kuchh Nhi Mere Pas E Mere Sanaam
Sochtaa Hu Bus Tuje Apni Vafaa Pes Kru.
नया एक जख्म खाना चाहता हूँ ,
ReplyDeleteमैं जीने को बहाना चाहता हूँ ;
रुला देती है हर
सच्ची कहानी ,
मैं एक झूठा फ़साना चाहता हूँ ;
ये पागलपन नहीं तो और क्या है ,
मैं सचमुच मुस्कुराना चाहता हूँ ;
कोई मुझको भी मेरे पास लाये ,
मैं अपना गम बटाना चाहता हूँ ;
नया एक जख्म खाना चाहता हूँ ,
मैं जीने को बहाना चाहता ह